मैं कौन हूँ?
मैं कौन हूँ, क्या हूँ, कैसा हूँ इतना तो आत्मज्ञान है,
किन्तु चलो स्वयं को आज औरों के दृष्टिकोण से
बस एक झलक देखा जाये ।
मैं भावुक नहीं -
क्षमता नहीं परभावना का आदर करने की मुझ में
और न है सामर्थ्य ही निजी मूक भावनाओं की
अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति का ।
पाषाण हृदय मनुष्य हूँ मैं …
मुझ में है साहस नहीं –
जितनी जटिल समस्याएँ जीवन में आती जाती हैं
स्वयं समाधान उनका मैं निकाल तो पाता नहीं
यथार्थ नकार देता हूँ।
संकेत है यह कायरता का …
मेरा कुछ उद्देश्य नहीं -
न लालसा यशोधन की न अर्थसिद्धि का है संकल्प;
राग अस्तित्व का समस्वर और सुस्त गति है जीवन की
किन्तु पूर्णतः संतुष्ट हूँ।
कितना लक्ष्य रहित है जीवन …
मुझ में सच्चाई नहीं –
बाह्य रूप मेरा अलग है, आन्तरिक कुछ भिन्न है
रहस्य दुर्बलता का अपनी सबसे छुपाने के लिये
एक मुखौटा पहना है।
कहते हैं पाखण्ड इसी को …
निष्ठुर, कायर, निरुद्देश्य, दुमुखी और पाखण्डी
और एक दोष है – रहता हूँ अपने मत पर मैं अडिग
और मेरा यह मत है कि औरों के दृष्टिकोण से
कदापि मैं सहमत नहीं।
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