Friday, May 19, 2006

Main Kaun Hoon

मैं कौन हूँ?

मैं कौन हूँ, क्या हूँ, कैसा हूँ इतना तो आत्मज्ञान है,
किन्तु चलो स्वयं को आज औरों के दृष्टिकोण से
बस एक झलक देखा जाये ।

मैं भावुक नहीं -
क्षमता नहीं परभावना का आदर करने की मुझ में
और न है सामर्थ्य ही निजी मूक भावनाओं की
अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति का ।
पाषाण हृदय मनुष्य हूँ मैं …

मुझ में है साहस नहीं –
जितनी जटिल समस्याएँ जीवन में आती जाती हैं
स्वयं समाधान उनका मैं निकाल तो पाता नहीं
यथार्थ नकार देता हूँ।
संकेत है यह कायरता का …

मेरा कुछ उद्देश्य नहीं -
न लालसा यशोधन की न अर्थसिद्धि का है संकल्प;
राग अस्तित्व का समस्वर और सुस्त गति है जीवन की
किन्तु पूर्णतः संतुष्ट हूँ।
कितना लक्ष्य रहित है जीवन …

मुझ में सच्चाई नहीं –
बाह्य रूप मेरा अलग है, आन्तरिक कुछ भिन्न है
रहस्य दुर्बलता का अपनी सबसे छुपाने के लिये
एक मुखौटा पहना है।
कहते हैं पाखण्ड इसी को …

निष्ठुर, कायर, निरुद्देश्य, दुमुखी और पाखण्डी
और एक दोष है – रहता हूँ अपने मत पर मैं अडिग
और मेरा यह मत है कि औरों के दृष्टिकोण से
कदापि मैं सहमत नहीं।

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